भारतीयता का पुनर्जागरण (संस्कारों से आधुनिकता तक की यात्रा) - 2

  • 93

अध्याय – 2भारतीय संस्कृति की स्वर्णिम धरोहर : संस्कार, परिवार और शिक्षाभारतीय संस्कृति को यदि एक आयुवृद्ध वटवृक्ष माना जाए, तो उसके गहन मूल संस्कार हैं, उसका मजबूत तना परिवार व्यवस्था है और उसकी छाया में फलते-फूलते पुष्प-फल शिक्षा एवं ज्ञान हैं। यही तीन धरोहरें भारत को सहस्त्रों वर्षों तक सशक्त, संगठित और आध्यात्मिक बनाए रखने की आधारशिला बनीं।संस्कार : जीवन का शुद्धिकरणभारतीय जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ जन्म से मृत्यु तक मानव जीवन को पवित्र और उन्नत बनाने के लिए एक क्रमबद्ध प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इन्हें षोडश संस्कार कहा गया है।संस्कार का अर्थ