प्रिय राधा आंटी!,उम्मीद है जहाँ होंगी इस जहाँ से बेहतर होंगी |हर कष्ट हर पीड़ा से मुक्त होंगी |आंटी!...कभी सोचा नहीं था कि दस मिनट का रास्ताइतनी गहरी याद बन जाएगा |हर सुबह जब मैं अपने बच्चे को स्कूल ले जाती थी,तो गली के मोड़ पर अपनी नन्ही पोती की उँगलियाँ थामे मुस्कान के साथ मिलती थी..एक हल्की सी नम्रता, जैसे रोज़मर्रा की थकान पर मरहम रख देती हो |आपके बालों में सवेरे की धूप उलझी रहती थी,और आपकी आँखों में एक अपनापन..जो बिना कहे भी कह जाता था कि “बेटा, सब ठीक हो जाएगा |”धीरे-धीरे बातें बढ़ीं,खाने की रेसिपी,