मृत्यु: एक अंत या नई शुरुआत?

मृत्यु: एक अंत या नई शुरुआत? मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा और अटल सत्य है। श्रीमद्भगवद्गीता कहती है – “जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च।” अर्थात जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है और जो मरता है उसका पुनर्जन्म भी निश्चित है। यह सत्य राजा हो या रंक, ज्ञानी हो या अज्ञानी – सभी पर समान रूप से लागू होता है। मृत्यु केवल अंत नहीं, बल्कि आत्मा की अगली यात्रा का आरंभ है। मनुष्य के मन में मृत्यु को लेकर सबसे बड़ा प्रश्न यही रहा है – क्या यह केवल शरीर का अंत है या आत्मा की यात्रा