आत्मा-विकास — जीवन का परम धर्म

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आत्मा-विकास — जीवन का परम धर्म ---     प्रस्तावना    जीवन ही आत्मा-विकास हैमानव ने धर्म, शिक्षा, विज्ञान और विकास के नाम पर अनगिनत रास्ते खोजे।पर इन सब भटकनों के बाद भी जीवन का सबसे साधारण और सबसे मूल सत्य अनदेखा रह गया:जीवन को सचमुच जीना ही आत्मा-विकास है।जब आत्मा विकसित होती है, तब धन–साधन अपने आप साधन रह जाते हैं, लक्ष्य नहीं।शिक्षा ज्ञान तो देती है, पर आत्मा-विकास समझ देता है।समझ ही वह दूसरी चाबी है जो भीतर का द्वार खोलती है।आत्मा-विकास होने पर जीवन की हजारों समस्याएँ अपने आप सुलझने लगती हैं