बहुत समय पहले की बात है, जब संसार में बुराई धीरे-धीरे बढ़ रही थी और मानव अपने मार्ग से भटकने लगा था। तब भारत की प्राचीन परंपराओं और साधनाओं को सहेजने वाले कुछ ऋषियों ने एक निर्णय लिया — कि अब मानवता की रक्षा के लिए एक ऐसा व्यक्ति तैयार किया जाएगा, जो न केवल शारीरिक रूप से बलवान हो, बल्कि आत्मिक रूप से भी जागृत हो।वे ऋषि "सत्यम" नामक एक गुप्त आश्रम में रहते थे, जहाँ आत्मबल, योगशक्ति, ध्यान और तपस्या के द्वारा इंसानों को महाशक्तियों से जोड़ने का अभ्यास कराया जाता था। उन्हीं ऋषियों ने एक बच्चे को