सौंदर्य: देह से आत्मा तक — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 सौंदर्य का अनुभव सबसे पहले आँख से होता है,पर उसका स्रोत आँख में नहीं — आत्मा में है।जो सुंदर दिखता है, वह क्षणिक है;जो सुंदर लगता है, वह अनंत का संकेत है। देह की हर रेखा, हर मुस्कान, हर रंग —सिर्फ उस ऊर्जा की झिलमिल है, जो भीतर से बहती है।सच्चा सौंदर्य तब प्रकट होता हैजब देह अपने अहं को छोड़करचेतना के लिए एक पारदर्शी पात्र बन जाती है। स्त्री में सौंदर्य अधिक स्पष्ट दिखता है,क्योंकि वह अस्तित्व के सबसे कोमल केंद्र से जुड़ी है।उसका सौंदर्य देह से नहीं,उसकी ग्रहणशीलता से जन्मता है।पुरुष