सोने का पिंजरा - 9

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कबीर ने धीरे से सैरिन की आँखों में देखा और कहा,सैरिन. मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे नाराज हो. लेकिन कल रात. जो भी हुआ, वह सिर्फ एक भ्रम नहीं था. वह हमारी सच्चाई का हिस्सा था. मैं. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।सैरिन ने सिर झुकाते हुए कहा,कबीर. तुम्हारी बातें दिल को छू जाती हैं, लेकिन मेरा डर भी वास्तविक है. मैं चाहती हूँ कि तुम जियाना के रास्ते से हट जाओ. मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे और उसके बीच कुछ रह जाए।कबीर ने गहरी सांस लेते हुए कहा,सैरिन. मैं तुम्हें वादा करता हूँ, जो कुछ भी हुआ, वह