गुनाहों की सजा - भाग 21

इतने में माही आई और आकर वरुण से पूछा, "वरुण भैया, काम हो गया ना?" "हाँ मेरी बहन, काम हो गया है।" माही ने रीतेश के पास जाकर कहा, "क्या सोचा था तुमने, मेरे पापा की खून-पसीने की कमाई दौलत को तुम यूं ही मुफ्त में लूट कर ले जाओगे? यह तुम्हारी भूल थी, रीतेश साहब।" रीतेश की आंखों में खून उतर आया था। उसने माही पर हाथ उठाते हुए कहा, "तो यह तेरी चाल थी। मैं तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा।" तब तक तेजस ने वहाँ आकर रीतेश का हाथ पकड़ लिया और कहा, "डोमेस्टिक वायलेंस का एक और केस