ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 10

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अर्जुन ने नौ कठिनाइयों पर विजय पाई थी।मोह, अकेलापन, क्रोध, प्रलोभन, आलस्य, भय, अहंकार और संशय—ये सब उसके सामने आए और उसने धैर्य, विश्वास और साधना से उन्हें हराया।अब केवल अंतिम परीक्षा शेष थी।गुरुजी ने एक दिन कहा –“अर्जुन, तूने बहुत दूर तक सफर तय कर लिया है।लेकिन ब्रह्मचर्य की पूर्णता तभी होगी, जब तू अंतिम परीक्षा पार करेगा।यह परीक्षा बाहर नहीं, तेरे भीतर होगी।यह तेरे इंद्रियों और मन के पूर्ण संयम की परीक्षा है।”अर्जुन गंभीर हो गया।उसे पता था कि यह परीक्षा अब तक की सबसे कठिन होगी।परीक्षा की शुरुआतगुरुजी ने उसे सात दिन का मौन और एकांत व्रत