ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 9

अर्जुन ने अब तक कई आंतरिक शत्रुओं पर विजय पाई थी – मोह, क्रोध, प्रलोभन, अकेलापन और अहंकार।गाँववाले उसकी और अधिक इज़्ज़त करने लगे। वह साधना में आगे बढ़ता गया और उसके मन में गहरी शांति का अनुभव होने लगा।लेकिन साधना का मार्ग सरल नहीं होता। जैसे-जैसे मन शुद्ध होता है, वैसे-वैसे सूक्ष्म परीक्षाएँ सामने आती हैं।पहली छायाएक रात अर्जुन जंगल में ध्यान कर रहा था।शांत वातावरण में केवल झींगुरों की आवाज़ गूँज रही थी।ध्यान के मध्य अचानक उसके मन में विचार आया –“क्या यह सब सही है?क्या मैं सचमुच ब्रह्मचर्य और साधना से मुक्ति पा सकूँगा?क्या कहीं यह सब