अर्जुन अब तक सात कठिन परीक्षाएँ पार कर चुका था। मोह, अकेलापन, क्रोध और प्रलोभन—सब पर उसने विजय पाई थी।गाँव के लोग अब उसे सम्मान की दृष्टि से देखने लगे।जहाँ पहले उसका मज़ाक उड़ाया जाता था, अब वहीं लोग कहते –“अर्जुन सचमुच साधक है। उसकी बातें सुनकर मन शांत हो जाता है।”“अगर यह इसी तरह बढ़ता रहा, तो बड़ा संत बनेगा।”गाँव के बच्चे उसके पास बैठते और कहानियाँ सुनते। बुजुर्ग उससे आशीर्वाद माँगते।धीरे-धीरे अर्जुन को भी यह लगने लगा कि वह कुछ अलग है।एक दिन गाँव में एक बड़ा उत्सव हुआ। अर्जुन को मंच पर बुलाया गया और सबके सामने