ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 7

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अर्जुन अब तक मोह, अकेलेपन और क्रोध की परीक्षाओं से गुजर चुका था। हर बार वह और मजबूत होकर उभरा था।लेकिन जीवन की राह पर जितना ऊँचा चढ़ो, उतनी ही कठिनाइयाँ सामने आती हैं।इस बार उसका सामना हुआ – प्रलोभन के तूफ़ान से।गाँव में उस साल अकाल पड़ा था। कई लोग परेशान थे। मगर उसी समय पास के कस्बे में एक धनी सेठ ने घोषणा की –“जो भी मेरे यहाँ काम करेगा, उसे सोने के सिक्के, बढ़िया कपड़े और स्वादिष्ट भोजन मिलेगा। उसके लिए हवेली में रहने का इंतज़ाम भी होगा।”गाँव के कई लोग वहाँ जाने लगे।अर्जुन के घर भी