मोह और अकेलेपन की परीक्षा पार करने के बाद अर्जुन का आत्मबल बढ़ चुका था। वह अब शांत, संयमी और आत्मविश्वासी हो गया था। लेकिन साधना का मार्ग कभी सरल नहीं होता। अगली चुनौती और भी गहरी थी – क्रोध की अग्नि।गाँव में एक आदमी था – भुवन। वह स्वभाव से अहंकारी और कटु भाषी था। उसका काम था दूसरों को तंग करना और अपमानित करना।जब उसने देखा कि गाँव में लोग अर्जुन की साधना और शांति की सराहना करने लगे हैं, तो उसके भीतर जलन की आग भड़क उठी।भुवन ने सोचा –“ये लड़का अभी छोटा है, और लोग इसे