ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 5

मोह के जाल को जीत लेने के बाद अर्जुन को लगा कि अब उसकी साधना आसान हो जाएगी। परंतु जीवन हर मोड़ पर नई चुनौती देता है। इस बार चुनौती थी – अकेलापन।गाँव के बाकी लड़के अब अर्जुन से दूर रहने लगे। उन्हें लगता कि अर्जुन अब उनके जैसा नहीं रहा।रघु ने एक दिन हँसते हुए कहा –“अर्जुन, तू तो अब साधु बन गया है। चल हमसे दूर रह, हमें तेरी उपदेशबाज़ी नहीं चाहिए।”दूसरे लड़के भी उसका मज़ाक उड़ाने लगे –“देखो! संत महाराज आ रहे हैं। अब हमको पाप-पुण्य सिखाएँगे।”अर्जुन बाहर से चुप रहता, लेकिन अंदर ही अंदर उसे गहरा