ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 4

गुरुजी से आशीर्वाद पाकर अर्जुन का आत्मविश्वास और बढ़ गया था। अब उसकी दिनचर्या बिल्कुल साधक जैसी हो गई थी। सुबह सूर्योदय से पहले उठना, नदी में स्नान करना, योग और प्राणायाम करना, दिन भर पढ़ाई और ध्यान, और रात को जल्दी सो जाना। गाँव के लोग अब उसे “साधु बालक” कहकर पुकारने लगे थे।लेकिन जीवन में हर ऊँचाई पर परीक्षा होती है। अर्जुन की अगली परीक्षा उससे कहीं कठिन थी, जितनी उसने सोचा भी नहीं था।एक दिन खबर आई कि गाँव में एक नई नर्तकी आई है – चंपा। उसका सौंदर्य और नृत्य देखने के लिए आस-पास के गाँवों