दोहरा लेखा (1) रेलवे स्टेशन पर गाड़ी रुकने से पहले ही मैं जान लिया था इन चार सालों में मेरा कस्बापुर बदल लिया है। पिछली बार अपने पिता के देहावसान पर आए रहा था। यह नया पॉलिटेक्निक, यह नया रैज़िडेंट स्कूल, नई गाड़ियों के ये नए शो-रूम तब कहां दिखाई दिए थे? और रेलवे स्टेशन का तो खाका व स्थाप्त्य तक बदल दिया गया था।