ईश्वर पाने का कोई उपाय नहीं - 2

 अध्याय1- मार्ग नहीं, अवरोध है सत्य का रहस्य”   मार्ग का मतलब है: लंबी यात्रा, तपस्या, कठिनाई, भटकने की संभावना। तो जनता को लगता है — “हाँ, अगर मार्ग है तो शायद पहुँचा जा सकता है।” पर सच्चाई यह है — ईश्वर तक कोई मार्ग है ही नहीं।   क्यों? क्योंकि मार्ग हमेशा कहीं और ले जाता है। मार्ग = भविष्य। मार्ग = अभी से इनकार, कल की प्रतीक्षा। और ईश्वर कभी “भविष्य” में नहीं, बस “अभी” में है।   इसीलिए जो भी सच्चे लोग आए — कबीर, रैदास, बुद्ध, नानक, कृष्णमूर्ति, ओशो — उन्होंने रास्ते से ज़्यादा अवरोध की