अरे बेटा, तू आ गई?हां मां, देखिए मैं क्या लाईं हूं आपके लिए, नंदिनी ने धीरे से कहा।तेरे हाथ से लाया खाना तो दवा से भी बढकर है, लता जी ने प्यार से नंदिनी के सिर पर हाथ फेरा। मां- बेटी साथ बैठकर खाना खाने लगीं।थोडी देर बाद नंदिनी जाकर अपना project तैयार करने लगती है लता जी बर्तन साफ कर कर शाम की तैयारी करने लगी.शाम के करीब छह बजने को आए थे। आसमान में ढलती धूप की सुनहरी किरणें खिडकी से झांक रही थीं। मॉल से लौटते हुए वेदिका, ईशान, निशा और अवनी सबके चेहरे पर हल्की- सी