भाग 1 : एक पिता की बेबसीगाँव के आखिरी सिरे पर टूटी-फूटी झोपड़ी में रामसागर रहता था। उम्र पचास से ऊपर हो चुकी थी, लेकिन चेहरा वक्त से कहीं ज्यादा थका हुआ लगता। उसका सहारा सिर्फ एक बेटी थी — गौरी।गौरी जब पैदा हुई थी, तब लोग कहते थे – "अरे बेटा नहीं हुआ, बेटी हुई है। इसका क्या करोगे?"रामसागर ने हर बार एक ही जवाब दिया –"बेटी भगवान का दिया वरदान होती है, इसका मान रखूँगा।"ग़रीबी ने उनकी ज़िंदगी को घेर रखा था। न खेत, न ज़मीन, बस मज़दूरी करके किसी तरह दो वक्त की रोटी जुटाना ही जीने