ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1

बरसों पहले की बात है। गंगा किनारे बसे छोटे से गाँव नवग्राम में एक लड़का रहता था – नाम था अर्जुन। उम्र मुश्किल से पंद्रह–सोलह वर्ष, लेकिन चेहरे पर मासूमियत और आँखों में अजीब-सी गहराई। गाँव के लोग कहते, “यह बालक साधारण नहीं, कुछ खास है।”गाँव के बच्चे जब सुबह खेतों की ओर गाय-भैंस चराने या खेलकूद करने जाते, तब अर्जुन एक पुरानी किताब लेकर पीपल के पेड़ के नीचे बैठ जाया करता। कभी घंटों गीता पढ़ता, कभी गुरुजी की बताई हुई ध्यान की क्रियाएँ करता। उसके दोस्त अक्सर चिढ़ाते –“अरे अर्जुन! तू हमेशा किताबों में ही डूबा रहता है।