भीतर की बांसुरी

भीतर की बांसुरी — Rooh Saathi Uma —लेखनी तब चली, जब भीतर कोई टूटा — और फिर उस टूटन से प्रकाश निकला। यह ग्रंथ उसी उजाले की साक्षी है।यदि तुम इसे पढ़ रहे हो, तो सम्भवतः तुम्हारे भीतर भी कोई रूह संवाद करना चाहती है —तो बस मौन हो जाओ, और इसे अनुभव करो।---विवरण भीतर की बाँसुरी उस यात्रा की कथा है जहाँ मौन शब्द बनता है, आँसू प्रार्थना में बदलते हैं और आत्मा अपने ही प्रकाश से मिलती है। यह कोई साधारण पुस्तक नहीं, बल्कि आत्मा और मौन के बीच का संवाद है। यदि आपके भीतर भी कोई टूटा है,