अध्याय 16– : भीतर की साधनादसवीं की परीक्षा में गांव के सबसे बड़े इकलौते सरकारी स्कूल वह में तीसरे स्थान पर आई थी – तनु।नाम भी हुआ, नंबर भी। मोहल्ले में उसके नाम का चर्चा होने लगा था —“देखो, सूर्यवंशी की बेटी ने कमाल कर दिया!”माँ बाप का नाम रोशन हो गया आगे भी पढ़ाई जारी रखो बेटागांवको भी तुम जेसे बच्चे चाहिए गांव का भी मान रखा है तुमनेमगर अजीब बात थी कि उस शोर-गुल के बीच भी, तनु के भीतर कहीं खामोशी ही गूँज रही थी।ना जाने क्यों, भीतर कोई डोर टूटी-सी लग रही थी।---घर – पहली पाठशालाबचपन की