Zero to Billionaire – भाग 2: सपनों की उड़ान और पहला स्टार्टअप आरव का बचपन कठिन था, लेकिन अब वह अपने सपनों को सच करने के लिए शहर की ओर बढ़ने वाला था। गाँव में उसके पास ज्यादा अवसर नहीं थे। उसे पता था—सपने सिर्फ़ सोचने से नहीं, कोशिश करने से सच होते हैं।️ शहर में पहला कदमआरव ने गाँव छोड़कर बड़े शहर में दाख़िला लिया।हॉस्टल की फीस भरने के लिए उसने पार्ट-टाइम काम शुरू किया।कभी किताबें बाँटी, कभी कंप्यूटर क्लासेस में सहायक बना।शहर की रफ्तार तेज थी और लोग व्यस्त। यहाँ कोई गरीब लड़के के सपनों में नहीं रुचि