जीवन जीना ही समाधि है

    प्रस्तावना   — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓷𝓲   मनुष्य की यात्रा केवल इतिहास नहीं है, केवल वर्तमान नहीं है, केवल भविष्य भी नहीं है — यह एक निरंतर धारा है। कभी यह धारा भारत की भूमि पर फूटी और उसने पूरे संसार को आत्मा, करुणा और सत्य का मार्ग दिखाया। वह समय था जब भारत केवल राष्ट्र नहीं था, बल्कि आत्मा था। नारी धरा थी, पुरुष प्राण था, और जीवन धर्म था। वहीं से मानवता का स्वर्णयुग खिला।   पर समय बदलता है। जहाँ भारत ने आत्मा को पूजा, वहीं पश्चिम ने बुद्धि और विज्ञान को