नदी - जीवन की दिशा

---नदी – जीवन की दिशा ️ लेखक: विजय शर्मा एरी---प्रस्तावनागाँव "सूरजपुर" के पास बहती नदी "चंद्रिका" केवल पानी की धारा नहीं थी। वह गाँव की आत्मा थी। हर पीढ़ी ने उसे अपनी आँखों से देखा था और दिल से पूजा था।---1. अर्जुन और नदीअर्जुन अब किशोर था। उसके लिए नदी खेल का मैदान भी थी और शिक्षक भी।वह नदी किनारे बैठकर पत्थर उछालता और लहरों से सवाल करता –"माँ, तुम क्यों हर दिन नए रास्ते बनाती हो?"नदी हँसती सी लगती और कहती –"क्योंकि जीवन का असली मज़ा बदलते रास्तों में है, स्थिरता में नहीं।"---2. किसान रामलालगाँव के किसान रामलाल सुबह-सुबह बैलों