[11]रात्री के भोजन के उपरांत सारा सोने के लिए सज्ज हो रही थी तभी उसके द्वार को किसी ने खटखटाया। सारा चौंक गई, सावध हो गई।‘इस समय? मेरे पास कौन आ सकता है? मैं तो किसी को जानती नहीं हूँ। विजेंदर तो ऐसे आ नहीं सकता। तो कौन होगा?’आगंतुक ने पुन: द्वार खटखटाया। सारा ने अपनी रिवॉल्वर संभाली। “कौन है?” कोई उत्तर नहीं आया। “किसका काम है?”“हमें सारा उलफ़त से मिलना है।” किसी स्त्री का स्वर सारा ने सुना। “क्यों? इस समय?”“आप चिंता न करें। हम आपके दोस्त हैं, दुश्मन नहीं। आपको हमसे कोई भय नहीं है।”“आप हैं कौन?”“सब कुछ बता दूँगी। आप पहले