ओ मेरे हमसफर - 29

(कहानी में प्रिया, जो रियल एस्टेट में असफल हो रही थी, कुणाल की चालों में उलझती है। कुणाल ट्रेनर बनकर लौटता है और कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों से उसे बाँधता है। ऑफिस में मीटिंग के दौरान अचानक घोषणा होती है कि कंपनी के नए ओनर कुणाल और प्रिया हैं। प्रिया सबके सामने कुणाल की मंगेतर होने की बात स्वीकार करती है और अपनी ताक़त और चालाकी दिखाती है। अपमानजनक सवालों और तानों के बावजूद वह खुद को कमजोर नहीं होने देती। कुणाल और प्रिया के बीच नफ़रत और मोहब्बत का टकराव गहराता है। प्रिया गुस्से और दर्द में दरवाज़ा छोड़कर निकल