चित्तौड़ री गाथा

***************************** भूमिका ***************************** मेवाड़ की धरती, इतिहास के उन पन्नों पर अंकित है जहाँ त्याग, बलिदान और स्वाभिमान की अनंत गाथाएँ सुनाई देती हैं। "चित्तौड़ री गाथा" मेरे द्वारा रचित दो प्रमुख काव्यों - "जौहर" और "महाराणा प्रताप: युगां सूं जळती एक ज्योत" - का संकलन है। 1. "जौहर" – जिसे मैंने 27 अगस्त 2017 को लिखा था। 2. "महाराणा प्रताप: युगां सूं जळती एक ज्योत" – यह कविता मेरी पुस्तक "प्रताप: अंतिम स्वाभिमानी" का अंतिम पृष्ठ है, जिसे मैंने महाराणा प्रताप को श्रद्धांजलि स्वरूप मेवाड़ी भाषा में लिखा है। यह रचना उनके अदम्य साहस, स्वाभिमान और बलिदान की अमर