चंद्रकांता: एक अधूरी विरासत की खोज - 4

बैंक लॉकर से मिला लिफाफा थामे अनन्या उत्साह से भरी घर लौटी थी। उसे लगा मानो वह कोई छिपा हुआ खजाना लेकर आई हो। लिफाफा खोला तो अंदर सिर्फ ‘चंद्रकांता’ की हस्तलिखित पांडुलिपि ही नहीं, शिवानी जी के निजी पत्र और एक पतली सी डायरी भी थी। वह डायरी उन संघर्षों की गवाह थी जो उन्होंने इस उपन्यास को लिखते हुए झेले थे—समाज की बेरहम बातें, प्रकाशकों की बंद होती हुईं दरवाज़ें और अकेलापन।अनन्या ने काँपते हाथों से पांडुलिपि खोली। पहला पन्ना पढ़ते ही वह स्तब्ध रह गई। शब्दों में ऐसा साहस और तीखापन था, मानो किसी ने बंद कमरे