बचपन के खेल

बचपन के खेल ️ लेखक – विजय शर्मा एरीगाँव की कच्ची गलियों में शाम का धुँधलका उतर रहा था। खेतों से लौटते किसान बैलों की घंटियों के साथ घर आ रहे थे। लेकिन उन सबसे अलग, मोहल्ले के चौपाल पर एक टोली इकट्ठा हो चुकी थी—बच्चों की टोली।पाँव में चप्पलें कम थीं, नंगे पाँव दौड़ने का मज़ा ही कुछ और था। किसी के हाथ में टूटी-फूटी बल्ला, किसी के पास कपड़े की गेंद, किसी के पास पुराने टायर का घेरा, और किसी के पास बस उत्साह।“चलो, आज क्रिकेट खेलते हैं!” रोहित ने आवाज़ लगाई।“नहीं, लुका-छिपी!” रानी ने ज़िद की।“नहीं-नहीं, गिल्ली-डंडा!” छोटे