जिन्दगी का सबसे बड़ा सच-मां के सिवा कोई अपना नहीं

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आन्या की दुनिया हमेशा से सांवली रोशनी में नहाई रहती थी — घर भर की हल्की-हल्की भीड़, माँ की चुपके से मुस्कान, और सुबह की चाय की खुशबू। पिताजी ने न मुँह खोला था न दिल; माँ ही थीं जिनकी हँसी ने उनके छोटे से घर को घर बनाया था। आन्या बचपन से ही निडर थी, पर जीवन ने उसे जल्दी-जल्दी सिखा दिया कि भरोसा हर किसी पर नहीं किया जाता।स्कूल के दिनों में आन्या की दोस्ती रिया से हुई। रिया चमकीली, खुशमिज़ाज और लोगों में लोकप्रिय थी। आन्या को रिया की दोस्ती में अपना आशियाना मिला — साथ पढ़ना,