पिछली बार:अनिरुद्ध ने अपने वंश की जिम्मेदारी संभाली और लोगों के दिलों में आशा जगानी शुरू की।अब वो गाँव-गाँव जाकर बुझी हुई उम्मीद को फिर से जलाना चाहता है।लेकिन असली चुनौती आने वाली है—एक ऐसी ताक़त जो उसकी दृढ़ता को परखेगी।आशा की यात्रासूरज की पहली किरण जब पर्वतों पर बिखरी, अनिरुद्ध और अद्रिका अपने नए सफर पर निकल पड़े।रास्ता कठिन था—टूटी पगडंडियाँ, झाड़ियों से ढके हुए मार्ग और वीरान गाँव।हर जगह अंधकार के निशान मौजूद थे।लेकिन जहाँ भी अनिरुद्ध जाता, लोग उसकी बातों से प्रेरित हो जाते।वो बच्चों के सिर पर हाथ रखता और कहता:“तुम्हारी आँखों में जो मासूमियत है,