अरे!! यार आज भी इंटरव्यू में सेलेक्ट नहीं हो पाया रमेश उदास होते हुए कहता है। नीरज कहता है..... कोई बात नहीं यार दूसरी जगह जाना क्या पता वहां हो जाए तेरा सलेक्शन।रमेश उदास होते हुए कहता है.... मुझे लगता है कि यह अब संभव ही नहीं है क्योंकि आजकल सबको बस अंग्रेजी चाहिए और हम ठहरे हिंदी भाषी। हमारा विद्यालय हिंदी में था। बस कुछ टूटी फूटी अंग्रेजी ही हमको आती है, बाकी तो हमें समझ भी नहीं आती। उसने आगे कहा...मैं तो यह सोचता हूं कि हमारे ही देश में हमारी ही भाषा की महत्ता इतनी कम क्यों है।