पर काया की तलाश

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    “कल्पनाओं ने शब्द दिए ,शब्दों ने अक्षर और तब इन अक्षरों से मिलकर तैयार हुआ वाक्य ! किन्तु क्या पूरी हो गई उनकी यात्रा ?नहीं, वाक्यों से तैयार होता है एक पूरा पैराग्राफ और कहानियाँ और उपन्यास यूं ही नहीं लिख दिए जाते हैं ! उन्हें तैयार करने के लिए जुटती हैं शब्दों , अक्षरों ,वाक्यों और पैराग्राफों की  सेना |उनकी रसद सामग्री बनती है लेखक की कल्पना और उसकी उड़ान |क्या ये सब है तुम्हारे पास ?” समरेश दा के इन प्रश्नों से घबरा ही उठा था मैं|कहानी या उपन्यास लिखने के लिए इन सारी तैयारियों से