घड़ीसाज़ का तोहफ़ा गाँव के एक कोने में, पुरानी पथरीली सड़क पर एक छोटी-सी दुकान थी। बाहर से देखने पर दुकान साधारण लगती थी—मिट्टी की दीवारें, लकड़ी का दरवाज़ा और एक छोटा-सा साइनबोर्ड जिस पर लिखा था: “इलायस – घड़ीसाज़।”लेकिन जैसे ही कोई अंदर कदम रखता, उसे लगता मानो वह किसी और ही दुनिया में आ गया हो।दुकान की दीवारों पर सैकड़ों घड़ियाँ टंगी थीं। कोई लंबी और भारी, जो गहरी आवाज़ में घंटा बजाती थी। कोई छोटी और नाजुक, जिसमें सुनहरी सुइयाँ चमकती थीं। कहीं कोयल घड़ी थी, जो हर घंटे पर अपने छोटे-से दरवाज़े से निकलकर “कूकू” करती। और