इसमें यह दर्शाया जाएगा कि हर इंसान के मन में एक “समुन्दर” है, जिसमें ज्वार-भाटा (उतार-चढ़ाव) आते रहते हैं—कभी भावनाएँ उमड़ती हैं, कभी शांति छा जाती है। इस कहानी में दार्शनिकता, भावनाएँ, रिश्ते, संघर्ष और आत्मबोध सब होगा।मेरा समुन्दर️ विजय शर्मा एरीभूमिका“हर इंसान के मन में एक समुन्दर होता है।उसमें गहराई भी होती है, लहरें भी।कभी उसमें ज्वार आता है—भावनाएँ उमड़ पड़ती हैं।और कभी भाटा—सब कुछ सूना, खाली और ठहरा हुआ।”यह कहानी है आदित्य की—एक साधारण-सा युवक, जो दिखने में बिलकुल आम था, लेकिन उसके भीतर एक ऐसा “समुन्दर” था जो उसे हर पल बदलता रहा।पहला अध्याय – बचपन की