आगरा की रात ठंडी थी, और पुलिस स्टेशन के बाहर सन्नाटा पसरा था। विक्रम राठौर स्टेशन के एक छोटे-से कमरे में बैठा था, सामने मेज पर राधिका मेहता की फाइल खुली हुई थी। उसका दिमाग उस नोट पर अटक गया था: “अगला नंबर तुम्हारा है, इंस्पेक्टर।” ये किलर अब सिर्फ़ हत्याएँ नहीं कर रहा था। वो विक्रम को चुनौती दे रहा था। वो उसे अपने खेल में खींच रहा था।विक्रम ने अपनी सिगरेट जलाई और धुएँ का एक लंबा कश लिया। कमरे की मद्धम रोशनी में उसका चेहरा और सख्त लग रहा था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी