"बोलो त्रिशा तुमने क्या सोचा फिर।।।।।।। क्या हम मना कर दे उन्हें नीचे जाकर??????" अपने मन की आवाजों को सुनने में चुपचाप खड़ी त्रिशा की खामोशी को उसकी ना समझ कर कल्पना ने उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए पूछा। अपनी मां के इस तरह हाथ पकड़ कर हिलाने पर त्रिशा अपने विचारों से बाहर आई और उसने अपनी मां की ओर देखा जो उससे पूछ रही थी कि क्या करना है?? क्या वह मना कर दें??? त्रिशा ने इस बार ज्यादा ना सोचते हुए और अपनी मां और अपने मन की आवाजों के बारे में फिर से सोचा। उसे अभी भी