अजय रात के ग्यारह बजे अपनी मेज पर बैठा पढाई कर रहे था बाहर पूरी गली में सनाटा पसरा हुआ था तभी उसे खिड़की के पास से हल्की-सी फुसफुसाहाट सुनाई दी अजय अजय ...अजय डर के मारे खिड़की की ओर झाँका लेकिन गली पूरी तरह से खाली थी उसने खुद से कहा शायद थकान होगी जैसे ही वह अपनी किताब की ओर लौटा उसने देखा कि किताब के पन्ने अपने आप पलट रहे हैं एक पन्ना रुक कर ठहर गया जिस पर लिखा था सावधान आधी रात से पहले तहखाने का दरवाजा मत खोलना अजय हैरानीमें पन्ना घुरता रहा वह