अधूरे सपनों की चादर - 8

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अध्याय 8गाँव के जीवन में रिश्तों की गहराई और उनकी जटिलता अक्सर बच्चों की समझ से परे होती है। तनु भी ऐसी ही मासूम बच्ची थी, जिसे अपने ही परिवार की परतों को पहचानने में समय लगा।गाँव के दूसरे छोर पर दादाजी की ज़मीन और खेत-खलिहान थे। वही पर भैया रहते थे और विवाह के बाद भाभी भी वहीं जा बसीं। तनु को यह पता ही नहीं था कि यह भैया उसके अपने सगे बड़े भाई हैं। जब भी वह आते, तनु मासूमियत से उनकी जेब में हाथ डालकर सिक्के निकाल लिया करती। भैया हँसते और जाते-जाते उसकी मुट्ठी सिक्कों