उजाले की ओर –संस्मरण

  • 456
  • 1
  • 144

उजाले की ओर----संस्मरण ग्रहण ===== स्नेहिल नमस्कार मित्रों मित्रों! अभी चंद्र ग्रहण गया है और मुझे एक बड़ी अजीब सी घटना याद आ गई । जानती हूँ, काफ़ी मित्र इस बात पर हँसेंगे लेकिन किया क्या जाए जब घटना अपने साथ ही घटित हुई हो '। कोई ना--हँस लेना लेकिन बात सच्ची है और अपनी माँ व नानी से सुनी हुई है । मेरी माँ के बच्चे होते थे लेकिन बचते नहीं थे । कितनी बार गर्भाधान के बाद भी जब अम्मा के बच्चे बचे नहीं तब उनकी ननसाल बुलंदशहर के एक गाँव बीर खेड़ा में, उनके मामा जी के