राहुल का जन्म एक छोटे से कस्बे में हुआ था। उसका घर कच्चा था, छत से बारिश की बूँदें टपकती थीं, और पिता की किराने की दुकान से मुश्किल से घर का खर्च चलता था। लेकिन गरीबी के बावजूद राहुल की आँखों में हमेशा एक चमक रहती। वह अक्सर आसमान की तरफ़ देखता और सोचता—“एक दिन मैं भी ऊँचाइयों को छूऊँगा।”बचपन से ही पढ़ाई उसका जुनून थी। कस्बे के सरकारी स्कूल में वह हमेशा पहला आता। टीचर उसकी तारीफ़ करते, मगर घर के हालात देखकर कई लोग कहते, “इतनी पढ़ाई से क्या होगा? आखिरकार तुम्हें दुकान ही संभालनी पड़ेगी।” राहुल