अध्याय 1: रौशनी का दूतबहुत समय पहले स्वर्ग के साम्राज्य में एक फ़रिश्ता था – लूसिफ़र।वह सबसे सुंदर, सबसे बुद्धिमान और सबसे चमकदार था। उसकी आवाज़ से संगीत बहता था, उसके पंखों से रौशनी निकलती थी।बाक़ी फ़रिश्ते उसकी ओर देखते और कहते –“यह ईश्वर की सबसे अद्भुत रचना है।”लेकिन धीरे-धीरे उसके दिल में एक सवाल उठने लगा –“मैं इतना महान हूँ, तो क्यों हमेशा किसी और के आदेश मानूँ?”अध्याय 2: अहंकार की शुरुआतलूसिफ़र ने अपने जैसे कुछ और फ़रिश्तों को अपने पक्ष में कर लिया।वह बोला –“हम अपना खुद का स्वर्ग बनाएँगे। हम भी देवता बन सकते हैं।”लेकिन ईश्वर सब