राधिका कॉलेज की लाइब्रेरी के उस कोने में बैठी थी जहाँ अक्सर वह और आर्यन साथ पढ़ा करते थे। सामने किताब खुली थी, पर उसके पन्नों पर नज़रें टिक नहीं पा रही थीं। उसकी उंगलियाँ कांप रही थीं, क्योंकि हाथ में वह चिट्ठी थी जो आज अचानक उसे पुराने बैग से मिली थी। पीला पड़ा कागज़, धुंधले से अक्षर, और उस पर कुछ आँसुओं के धब्बे—मानो वक्त भी इस चिट्ठी के साथ रुक गया हो।उस चिट्ठी पर लिखा था—"राधिका, जब तुम ये पंक्तियाँ पढ़ोगी, तब शायद मैं यहाँ न रहूँ। मैं जानता हूँ बिना बताए जाना ग़लत है, पर हालात