एपिसोड 4 "यक़ीन न किया अपनों नेज़िंदगी से हम हार बैठे"वो दोनों एक खुशनुमा दिन गुज़ार कर घर वापस आ रहे थे। कई सालों बाद जेरिश ने आज आज़ादी से खुलकर सांस ली थी। अस्र का वक़्त था, हमेशा की तरह आज गर्मी और दिन से ज़्यादा तेज़ होती जा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे आग के शोले बरस रहे हों। गाड़ी रोड पर दौड़ रही थी। आज बहुत ट्रैफिक था और वैसे भी दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता और आज तो वैसे भी संडे था, लोग अपनी फैमिली के साथ