पति ब्रहाचारी - भाग 2

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पति ब्रह्मचारी – भाग 2 : किशोरावस्था और ब्रह्मचर्य की प्रारंभिक प्रतिज्ञाप्रारंभआदित्यनंद जब बारह वर्ष का हुआ, तब उसकी बुद्धि, समझ और भावनाएँ तेजी से विकसित होने लगीं। अब वह केवल बालक नहीं रहा, बल्कि किशोरावस्था के द्वार पर खड़ा एक चिंतनशील, संवेदनशील और धर्मपरायण युवक बन चुका था।गुरुकुल में शिक्षक उसकी प्रतिभा, उसके गंभीर प्रश्न और असाधारण आत्मसंयम देखकर चकित रहते।उसने अनेक श्लोक और मंत्र याद कर लिए थे।दर्शन और नीति में उसकी समझ अद्भुत थी।गणित और ज्योतिष के जटिल प्रश्नों को सहज ही हल कर लेता।परन्तु उसके भीतर एक और परिवर्तन शुरू हो गया – कामवासना और