बालकाण्डअयोध्या नगरी सरयू तट पर बसी एक ऐसी भूमि थी, जहाँ धर्म और न्याय की गंगा बहती थी। वहाँ के राजा दशरथ प्रतापी, धर्मनिष्ठ और प्रजावत्सल थे। अयोध्या में सब कुछ था, किन्तु दशरथ का मन संतान-सुख से वंचित था। वर्षों की तपस्या, यज्ञ और ऋषियों के आशीर्वाद से उन्हें चार पुत्र रत्न प्राप्त हुए—राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न।राम ज्येष्ठ पुत्र थे, शील, धर्म और करुणा के प्रतीक। लक्ष्मण सदैव उनके संग रहते, भरत का हृदय भक्ति और त्याग से भरा था, और शत्रुघ्न सेवा में सदा तत्पर रहते। चारों भाइयों का प्रेम देखकर लगता था मानो चार दिशाएँ एक