"क्या कहूं मां?????" "क्या एक ही मुलाकात यह निर्णय लेने के लिए काफी है क्या कि उसके साथ में रह पाऊंगी या नहीं??? ""क्या बताऊं मां मैं, यहीं कि अभी तक मैं उसकी आदतों को नहीं जान पाई हूं। हां कुछ भाया तो है वो मन को पर क्या उतना काफी है इतना बड़ा फैसला लेने के लिए यह नहीं जानती।" "क्या यह बताऊं मां........." त्रिशा के मन और दिमाग में यह बात गूंजने लगी। उसका अंतर्मन शायद और भी कुछ कहता पर तभी उसकी मां ने उसे टोक दिया और मां की आवाज सुन वो अंतर्मन की आवाज भी चुप हो