वर्षा और महाकवि घाघ

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डायरी -  07 सितम्बर 2025        * वर्षा और महाकवि घाघ *            संकलन एवं  प्रस्तुति - डॉ आर बी भण्डारकर    आजकल लगभग समूचे उत्तर भारत में वर्षा की चर्चा है। फसलें प्रभावित हुई हैं,पशुधन और आम नागरिक भी।   वर्षा का सामान्य अर्थ प्राकृतिक रूप से बादलों से पानी बरसने से है।हमें पीने के लिए भी पानी चाहिए;भोजन, अन्न उत्पादन के लिए भी। वर्षा ऋतु में वर्षा और कृषि उत्पादन के संबंध में महाकवि घाघ काव्यात्मक कहावतें बड़ी प्रसिद्ध हैं।इस लेख में उन्हीं का संकलन है।