सुबह के ७:३० बजे थे, और आगरा का आसमान धुंध से भरा था। यमुना नदी के किनारे ताजमहल की सफेद मीनारें धीरे-धीरे सूरज की रोशनी में चमक रही थीं। लेकिन इस खूबसूरत नज़ारे के नीचे एक भयानक हकीकत छिपी थी। ताजमहल के पीछे, एक सुनसान गली में, जहाँ पर्यटक कम ही आते थे, एक और लाश पड़ी थी। और उस लाश के पास वही खौफनाक निशान – एक ‘एम’, खून से लिखा हुआ, और एक छोटी-सी शीशे की बोतल, जिसमें १५ एक रुपये के सिक्के चमक रहे थे।विक्रम राठौर की जीप आगरा के संकरी सड़कों से गुजर रही थी। दिल्ली